जनो चा फफराट तेरो,
उनि माफू बांद नि छै।
क्यांको रगरयाट तेरो
इनि माफु बांद नि छै।।
क्वी ब्वद त्वैकु जून
ज्वन्नी को चड़दो खून
क्वी ब्वद मेरी सांखी
रीठै दाणी सि आंखी
अंगड़ै लीदीं तु जनी,
उनि माफु बांद नि छै।।
कन बणद भोलि-भालि,
जन दूदै की विरालि।
दंतुड़ी दिखौदा इनी,
दलूमे सि फाड़ि़ जनी
जनो च मुमलाट तेरो,
उनि माफू बांद नि छै।
धौली सि फाट स्यूंद,
मुखड़ी हिंसरे सि बूंद।
गिडंली घगरी को घेर,
देखी बगछट्ट ग्वैर।
जनो चा लवड़ाट तेरो
उनि माफू बांद नि छै।।
लटुली सुलझांदि जनी,
मन तै उलझांदि उनी
बादल घिरेकि आंदा
औंसी की राति जनी
जन एैना मा देखदी
उनि माफू बांद नि छै।।
फफराट