दर्द

दर्द 
गरीब अपणु......... 
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खारु खरोलि अंगार खुज्यान्द कतकै दिख्यान. 
मुछ्यलौ जगै बाटु खुज्यान्द कतकै दिख्यान.. ...
भौत कम दिखी मिन. भै भै एक भितरी मा. 
भैनैका छाई चुल्लू फ़र बैठ्यान कतकै दिख्यान...............
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कभी नि हिरदा मी जना. आज गरीब बोलिकी. 
कभी रैन्दा छाई चिर्या सुलार कतकै दिख्यान....
अब त ऊ पाणि भी लुकैकि पिंदीन मी से.. 
खान्दा छाई जुठु गौला भिटेकि कतकै दिख्यान ...........
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मित सदनि खुश हो कि ऊ बडु आदिम बणि गे. 
अफ़ु बणनकु हैकु थै लम्डाण कतकै दिख्यान...... 
जब कुछ नि छाई त जग्गा नि ह्वाई  भितरौ हमकु. 
बडा बणौ लग गीन ताला. भितरौ कतकै दिख्यान...........
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गरीब रौ त समलीच बाब ददा की कूडि मेरि. 
अति पैसो मा खन्द्वार ह्वे जान्द. कतकै दिख्यान........ 
कभी नि स्याई भुखि. सदनि तुमरी छाया राया. 
कमान्दा कमान्दा भुखि से जान्द कतकै दिख्यान.............
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पैली भटि राई कल्गिसी पराण इलै पीडा हूंदा 
अपणी खून निठुरु ह्वे जान्द कतकै दिख्यान..... 
पालो न बैम पैसा छी. दगुडु कैकु नि चयेणू हम थै. 
आखिर दा चार आदिम खुजान्द कतकै दिख्यान.............
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नाम कु बान कभी इतका बडु नि बणि सन्दीप. 
बडु ह्वेकि अपणौ बिसरान्द कतकै दिख्यान.................. 
जब दिखिली की अपणा नि दिखेणा त तु रुक जैई. 
अपणौका बान अपणो थै रून्द कतकै दिख्यान......... 
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#सन्दीप गढ्वाली ©®