हाँ मै पहाडी हूँ....

हाँ मै पहाडी हूँ.... 
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लोग बुलाते पहाडी बोल कर. 
मै खुश हो जाता हूँ. 
बस इसी नाम से जन्म भूमि. 
अपने पहाड से जुड पाता हूँ. 
हाँ मै पहाडी हूँ. 
बस पहाड से भागा हूँ. 
वीरान पहाडियों को .आजभी
जब  मुस्कराते हुये देखता हूँ. 
नजरे झुका लेता हूँ शर्मिंदा हूँ. 
आखिर मै ही तो छोड भागा हूँ...
बचपन की यादें जवानी के सपने. 
यहीं बैठ कर तो बुने थे .
आज कामयाब हूँ शहर में तो क्या. 
पहाड छोड कर तो आया हूँ. 
मैने छोडा आना जाना 
खूबसूरत वादियों को देख पाना. 
आज भी बुलाती है गाँव की मिट्टी. 
मगर मै कहाँ जाता  हूँ. .
गर मै जिन्दा होता गाँव मे होता. 
मै तो शहर में हूँ. 
आत्मा कहाँ बची मेरी अब तो. 
मै तो बस मशीन हूँ. 
अब रोने का फ़ायदा क्या.. 
अब जीना चाहता हूँ. 
गाँव याद आता है जब सुकून चाहता हूँ. 
अब नजरे चुराता हूँ पहाडो से. 
आखिर मै ही तो भागा हूँ. 
न लौटा न हाल पूछा कभी. 
हाँ मै गुनाहगार हूँ. 
पहाड आज भी राह देखते हैं. 
मै ही नहीं जा पाता हूँ. 
हाँ मैं ही तो भागा हूँ............ 
हाँ मै शर्मिन्दा हूँ...... 
मगर गर्व है मै पहाडी हूँ.. 
     सन्दीप गढ्वाली. ©®