इतिहास बनने की राह पर कांग्रेस 

भारत को कांग्रेस ने जबरन वर्षों से उन उलझनों में उलझाए रखा जिनका समाधान अगर कांग्रेस चाहती तो कब का कर सकती थी परंतु अपनी सत्ता की लालसा ने देश को दिशाहीन और भटकाव की और ले जाने में कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी।
मूलभूत मुद्दों को छोड़कर धार्मिक आधार पर एक पक्षीय बात करना कांग्रेस की पहचान रही है। चाहे फिर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा हो, राम मंदिर का या फिर एनआरसी और कैब का! कांग्रेस ने हमेशा अपनी राजनीति रोटियां सेंकने का काम किया है। जम्मू-कश्मीर में पहले जो चला आता था अचानक उस पर ब्रेक लगा देना और जम्मू-कश्मीर की नई इबादत लिखना थोड़ा तो समय परिस्थिति को नियंत्रित करने में लगेगा इसमें कोई दोराय नहीं है। परंतु कांग्रेस की स्थिति ऐसी है कि खुद भी कुछ नहीं करना और दूसरा करे तो उसमें भी बुराई ढूंढना। यही राम मंदिर के केस में भी हुआ। उसमें भी माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश पर कांग्रेस के नेताओं के अलग अलग बोल साबित करते हैं कि हम न कानून की मानते हैं और न ही समाज की। अब एनआरसी और कैब को जिस तरह से कांग्रेस गलत प्रचारित करने का प्रयास कर रही है वो साबित करता है कि कांग्रेस को सत्ता के लिए सिर्फ एक ही धर्म विशेष के लोगों का समर्थन चाहिए बाकि उसे कोई लेना देना नहीं है।
एनआरसी रखना किसी भी देश के लिए अत्यावश्यक है आखिर उसे पता होना चाहिए अपने नागरिकों के बारे में। यह ठीक वैसे ही है जैसे कोई कम्पनी अपने कर्मचारियों का पूरा विवरण रखती है। आखिर एनआरसी से बैर का कारण क्या हो सकता है? सिर्फ निजी स्वार्थ और कुछ नहीं। और यही भ्रामक जानकारी कैब को लेकर भी फैलाई जा रही है। कैब से किसी नागरिक की नागरिकता खत्म नहीं होने वाली है और न ही कोई भी आकर तुरंत नागरिकता लेने का अधिकारी बन जाएगा! जिन तीन देशों के अल्पसंख्यकों को भारत ने कैब के माध्यम से नागरिकता देने का प्राविधान किया है वो तीनों देश मुस्लिम बाहुल देश हैं ऐसे में वहां मुस्लिमों के खिलाफ तो धार्मिक उत्पीड़न, जबरन धर्म परिवर्तन जैसी बातों का होना तो असंभव है। अगर वहां ऐसी कोई परिस्थति बनती है तो वह अल्पसंख्यकों के खिलाफ बनेगी।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का कैब को लेकर धरने पर बैठना राजनीतिक रोटी सेंकने का एक स्टंड मात्र है। वर्ना देश में आज महिलाओं की स्थिति क्या है किसी से छिपी नहीं है। बलात्कार, छेड़छाड़, हत्या जैसे मानसिक, शारीरिक उत्पीड़न के खिलाफ प्रियंका गांधी ही नहीं बल्कि पूरी कांग्रेस ने एक शब्द नहीं बोला नहीं तो 2012 निर्भया केस के बाद देश में महिलाओं को जरूर न्याय मिलता पर शायद महिलाएं इनकी राजनीति के आगे कुछ नहीं हैं। सत्ता में रहते जब कोई ठोस कदम नहीं उठा सके तो अब जब पैदल हैं कम से कम आवाज ही उठा लेते पर लगता नहीं है कि प्रियंका गांधी सहित कांग्रेसियों की इस दिशा में कोई स्पष्ट नीति है काम करने की! 
कांग्रेस वास्तव में अस्तित्व बचाए रखना चाहती है तो आम जनता से जुड़े मुद्दों को उठाए रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा के लिए आंदोलन करे तो कुछ बात बनें अन्यथा वर्तमान सरकार जो कर रही है उसे करने दे तो ज्यादा बेहतर है कहीं ऐसा न हो इस तरह की राजनीति के चक्कर में कांग्रेस खुद एक इतिहास बनकर न रह जाए।