पलायन

पलायन दोष कै कु नी दोषी क्वी 
हैकु न तुम अर मी 
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कुछ छाई मजबूरी कुछ. 
दिखावा कि आग आयी. 
कुछ कभी कभी आण वलोन 
झूठी सान बताई. 
कुछ लोगों कु तिरिस्कार छाई. 
कभी गौ की सुधि नि ल्याई...... 
किलै धनाई दोश हैक फ़रि 
कुछ अपणु फ़र्ज भी दिखेन्दु 
अगर सै लीन्दा खैरि जरा त 
पलायन किलै हून्दू. 
दोषी क्वी हैकु न.... बस तु अर मी........... 
जब निछाई रुप्या कैमा. 
यखि मुण्ड रुप्याई. 
जनि आण बैठीन रुप्य द्वी चार 
झट पलायन कैरि द्याई. 
जब छाई बाटु पैदल कु 
खुटा खपचैना भारा सरीना. 
जनि आई सडक गौ मा. 
सब सटिक गीना. 
दोषी क्वी हैकु नी. बस तुम अर मी......... 
अगर तुम रुक जान्दा. भैजी 
मी भी रुक जान्दु. 
बच्याण बुलणकु सारु हून्दु. 
मी यखुलि नि बयान्दु. 
द्वी चार तुमर ख्वाला हून्दा 
द्वी चार म्यार ख्वाला हून्दा. 
गौ भुर्यू रैन्दु भैजी 
देखा देखी नि हून्दी. 
आज पलायन किलै हून्दू 
दोषी क्वी हैकु नी.. तु अर मी.... 
     सन्दीप गढ्वाली ©®