पलायन प्रगति अर दर्द.......
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जब गौ मा क्वी नि दिखे मनिख.
न गोर गुठ्यरि कखि रयान.
शैरू क मनिख घौर जान्द.
तालो दगड छुई लगान्द.
ढक्यान मोरु गौला भिटै कि
पुरणा दिनूकि छुई लगान्द.
तब हून्द अहसास वैथै.
पलायन कन घाव ह्वे जान्द.
जब बैठ्यू रैन्द छज्जमा यखुलि
अफ़ि रून्द अफ़ि हैसू अफ़ि बयान्द
तब दिखेन्द गौ कु सुख भैजी.
जब मनिख पलायन कैजान्द.
जब जैकैकु छुयूमा गौकु नाम
शैरु मा सूणि खुश ह्वेजान्द.
जब जैनिसकुदु गौ अपणु
रूणू रैन्द घुटैणू रैन्द
क्य हून्द दर्द पलायन कु.
शैरु मा मनिख तब चितान्द
जब लटक्यू तालु बन्द किवाड.
केखुण अयान सवाल कैजान्द
उजडदा कूडि बान्जि पुन्गडि.
जब जाओ सवाल कैजान्द.
अब क्या धर्यूच यख तेरु
क्य हून्द पलायन मनिख.
तब चितान्द तब चितान्द.
सन्दीप गढ्वाली ©®
पलायन प्रगति अर दर्द.......