राम मंदिर के सम्बन्ध में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के विरूद्ध मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद सहित 40 से अधिक मानवाधिकारों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि याचिकाओं और उसके साथ संलग्न दस्तावेजों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने के बाद भी ऐसा कोई आधार नजर नहीं आया जिसके कारण इन याचिकाओं को सुना जा सके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जो मूल विवाद में पक्षकार नहीं है उन्हें भी इसकी अनुमति नहीं है।
कोर्ट के इस निर्णय के बाद राम मंदिर बनने में अब कोई अड़चन नहीं रह गई है। यदि याचिकाकर्ता उपचारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पीटिशन) डालते भी हैं तो ऐसी याचिकाएं सफल नहीं होती है।
इन याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एम ए बोवडे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ कर रही थी।
राम मंदिर बनने से कोई नहीं रोक सकता