सिद्धपीठ बुंखाल कांलिका मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ 

सिद्धपीठ बुंखाल कांलिका मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़
उत्तराखंड देवभूमि है। असंख्य सिद्धपीठ देव स्थल हैं जिनका महात्म्य ही कुछ और है। जो सुकून, शांति उत्तराखंड में मिलती है वह कहीं और नहीं है। आस्था और विश्वास हमारा इतिहास रहा है। इसी आस्था और विश्वास का एक केंद्र है बुंखाल कांलिका मंदिर। जो अपनी पौराणिकता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष नवंबर और दिसंबर माह के मध्य में शनिवार के दिन यहां मेले का आयोजन किया जाता है। वैसे तो हमेशा ही इस मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती है परंतु मेले के दिन यहां देश प्रदेश से लाखों की संख्या में भक्तगण अपनी भेंट लेकर आते हैं। 
पौड़ी गढ़वाल के एतिहासिक बुंखाल मेले का आयोजन भक्तिमय माहौल के साथ आज संपन्न हो गया। बुंखाल कांलिका माता मंदिर का अपना महत्व है। माता के दरबार में जो भी आता है खाली हाथ नहीं लौटता। वर्ष 2014 से पहले यहां बलि प्रथा का प्राविधान था परंतु वर्तमान में यह प्रथा पूरी तरह से बंद हो गई है। इस मंदिर के पुजारी गोदियाल जाति के ब्राह्मण हैं जो स्थानीय गांवों के निवासी हैं। वर्तमान में यहां बलि न चढ़ाई जाए इसके लिए प्रशासन मुस्तैदी के साथ डटे रहते हैं। यहां पर मां काली का खप्पर है जिसकी पूजा प्राचीनकाल से होती आ रही है।