दिनांक 23 जनवरी 2020 को ब्लाक कांग्रेस कमेटी ऐकेश्वर की ब्लाक अध्यक्ष जसपाल सिंह रावत की अध्यक्षता में एक बैठक आहूत की गई जिसमें ऐकेश्वर ब्लाक में जंगली जानवरों से खेतीबाड़ी को नुकसान, चौबट्टाखाल तहसील का अधूरे लटके काम को लेकर एक रणनीति बनाए जाने के सम्बन्ध हुई। कांग्रेस सरकार के द्वारा चौबट्टाखाल तहसील के लिए बजट पास कराकर जो भी काम कराया गया वर्तमान सरकार उस काम को आगे बढ़ाने में असमर्थ रही जिससे पता चलता है कि वर्तमान सरकार आम जनता के प्रति क्या दृष्टिकोण रखती है।
पलायन की मार झेल रहा पहाड़ जंगली जानवरों से खेतीबाड़ी और जानमाल के नुकसान के कारण और अधिक प्रभावित हो रहा है इस दिशा में भी कोई ठोस योजना नहीं बनाई जा रही है। जबकि जंगली सुअरों को मारने की समय-सीमा भी पूरी हो गई है ऐसे में आम आदमी कैसे अपने खेतों की रक्षा कर पाएगा। जंगली सुअरों को मारने की समय-सीमा को बढ़ाने के लिए कोई कार्रवाई न करना प्रदेश सरकार की निष्क्रियता को दर्शाता है।
इस दिशा में ब्लाक कांग्रेस कमेटी ऐकेश्वर जल्द एक वृहद आंदोलन कर धरना-प्रदर्शन करेगी और सरकार को नींद से जगाने का पूरा प्रयास करेगी जिससे चौबट्टाखाल तहसील का काम जल्द पूरा हो सके।
साथ ही ब्लाक कांग्रेस कमेटी ऐकेश्वर में आए युवा साथियों ने कांग्रेस की मजबूती के लिए विचार रखे। जनता आज भी कांग्रेस से विकास की उम्मीद रखती है। मिशन 2022 के लिए हाशिए पर खड़े एक एक व्यक्ति को हमें साथ लेकर चलना होगा। कांग्रेस की 2022 में दमदार वापसी होगी यह जनता की मांग बन गई है।
इस अवसर पर कविन्द्र इष्टवाल ने कहा कि कांग्रेस को एकजुट एकमुट होकर गांव स्तर पर, न्याय पंचायत स्तर पर सदस्यता अभियान चलाना होगा और कांग्रेस की विचारधारा से नए लोगों को, महिलाओं को, युवा साथियों को जोड़ना होगा। उतार चढाव का दौर जीवन का हिस्सा है ऐसे में धैर्य से काम लेना होगा। मतभेद रखो परंतु मनभेद नहीं होना चाहिए। जो पुराने कार्यकर्ता हैं हमें उन्हें संगठित करना होगा उनके मार्गदर्शन में नए साथियों के साथ हम आगे बढ़ेंगे यह हमारा विश्वास है।
माया गुसांई, मनोहर लाल पहाड़ी, पंकज पोखरियाल, राजकमल, प्रताप सिंह बिष्ट, प्रवेन्द्र, कैलाश, कल्याण सिंह रावत, बिजेंद्र सिंह, सविन्द्र सिंह, मनपाल, रविन्द्र कुमार, जितेन्द्र सिंह नेगी, कृष्णपाल सिंह, यशेन्द्र, महेन्द्र सिंह, महेन्द्र सिंह, विकास रावत आदि मौजूद रहे।
2022 के लिए एकजुट एकमुट होना जरूरी कविन्द्र इष्टवाल