समाज में यदि आप अधिकारों की मांग करते हैं तो सबसे पहले आपको उसी समाज के लिए कर्तव्यों का पालन करना भी जरूरी हो जाता है। आजकल नाम के साथ समाजसेवी का तमगा लगाना उताना ही आसान हो जाता है जितना मुंह में रखी रोटी को निगलना। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो समाजसेवी लिखते हैं या नहीं परंतु सच में समाज की सेवादार बनकर खड़े रहते हैं। उनमें एक नाम कविन्द्र इष्टवाल का है। जो जनता के बीच रहकर हमेशा जरूरतमंदों की मदद के लिए खड़े रहते हैं।
पौड़ी गढ़वाल के पौखडा ब्लाक के देवकुंडई गांव की 11 वर्षीय बहादुर बेटी राखी आज हर किसी के लिए उत्तराखंड से गर्व की पहचान बन गई है। उसकी बहादुरी और उसका अदम्य साहस जितना उसकी पहचान को मजबूती देता है उतना ही सहयोग उस पहचान को नई दिशा दिलाने में कविंद्र इष्टवाल का भी रहा। गुलदार से चार साल के भाई को बचाकर खुद जान पर खेलकर कोटद्वार के सरकारी अस्पताल से लेकर दिल्ली राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ईलाज कराने में कविंद्र इष्टवाल के सहयोग ने जिला प्रशासन, क्षेत्रीय विधायक को उस बिटिया को और बेहतरीन सहायता देने के लिए जागरूकता का काम कर उस बहादुर बिटिया को नई पहचान दिलाई। वर्ना हमारा वन विभाग तो उस बिटिया को 15 हजार पकड़ाकर अपना पल्ला झाड़ चुका था जो दो दिनों तक कोटद्वार के सरकारी अस्पताल में बेहतर ईलाज के लिए भी तरस रही थी।
सही मायने में समाज में समाजसेवियों, राजनेताओं से ज्यादा जागरूक लोगों की अति आवश्यकता है जो देर सबेर जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकें।
कविन्द्र इष्टवाल की जागरूकता और समय पर मीडिया के सहयोग से राखी को गैर सरकारी संगठन भारतीय बाल कल्याण परिषद् मार्कंडेय अवार्ड मिलने जा रहा है यह हमारे लिए गर्व की बात है।
एक छोटी सी कोशिश से आज उस बहादुर बीटिया के अदम्य साहस, वीरता और तत्काल लिए गए निर्णय पर आने वाले गणतंत्र दिवस के अवसर पर वीरता पुरस्कार मिलना प्रसन्नता का विषय है। उस बहादुर बीटिया को उज्जवल भविष्य के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं । आप सभी से उम्मीद करते हैं जब कभी किसी की मदद करने का अवसर मिले तो अपना सहयोग जरूर दें।
जागरूकता बेहद जरूरी है, संगठित होकर अपने सूचना तंत्र को मजबूती देते हुए समाज में परिवर्तन की भूमिका को सुदृढ़ता प्रदान करने में सहयोग देते रहें।
कविन्द्र इष्टवाल की पहल से राखी के अदम्य साहस को वीरता पुरस्कार