मैं तो........
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मै तो ठहरा राह का पत्थर.
हर बार ही ठुकराया जाऊँगा.
कौन है मेरा अपना जो.
मूरत बनाके मंदिर में.
प्यार बनाकर बाहो में.
सिन्दूर बनाकर माथे में
यार बनाकर सीने में.
दिया बनाकर राहों में
हाथ बढाकर अपनो में
गीत बनाकर नगमो में
साज बनाकर हाथों में.
रंग बनाकर पानी में.
अश्क बनाकर आँखों में
अपना समझकर यादों में
अपनी कल्पना के शब्दो में
कुछ रीति कहीं रिवाजो में.
इन सुनसान राहो में.
अपनी खुशियों की बगिया में.
हाथों में हाथ डाले.
संग चले मेरे इन राहो में.
कल्पना मेरी है
खुली आँखों में सपने है
मै तो ठहरा राह का पत्थर.
जीवन तेरी ठोकर में........
मै तो.........
सन्दीप गढवाली. ©®22120