देवप्रयाग विधानसभा में विकास के लाख दावे किए जाएं परंतु हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। एक चार किमी सड़क जो लगभग चार साल पहले स्वीकृत हुई थी उस पर स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों की निष्क्रियता का आलम यह है कि वह सड़क आजतक नहीं बन पाई जिसके चलते इस सड़क की आस में बैठे ग्रामीणों को क्रमिक आंदोलन करना पड़ा।
दरअसल, चार साल पहले कीर्तिनगर ब्लाक के बीरखाल से मंजूली मोटर मार्ग स्वीकृत हुआ था जिसके मध्य में बर्सिला, कुलेठी तथा पोथ नामक गांव भी हैं परंतु चार साल बीत जाने पर भी उक्त सड़क का न बनना जनप्रतिनिधियों सहित विभाग की निष्क्रियता को उजागर करता है। अब विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वन भूमि के कारण सड़क नहीं बन पाई। परंतु दुर्भाग्य है कि मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल सड़क जैसी सुविधा को लेकर इतनी बड़ी लापरवाही कि जिस पर चार साल में भी कार्यवाही नहीं हो पाई सिस्टम की कार्यशैली को उजागर करता है। वहीं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की लापरवाही भी बताता है जो शिलान्यास हो चुकी सड़कों का दोबारा शिलान्यास तो कर सकते हैं परंतु ऐसी सड़कों पर कोई भी कार्यवाही करने से बचते हैं!
अब देखना होगा कि ग्रामीणों के क्रमिक आंदोलन का विभाग और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों पर कोई असर होता है या नहीं! या फिर इनको जगाने के लिए कोई बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा।
देवप्रयाग विधानसभा में तीन साल में चार किमी सड़क नहीं बन पाई