गोदामो से शराब घटा रहे थे हम

शराबी. शराब और दर्द 😀😀
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
सरे आम बिखरे.  हुये पडे थे हम. 
कुटे पिटे मगर अपने. पैरों से चले थे हम. 
ये और बात है. की.घर आकर फ़िर कुटे. 
मगर फ़िर भी. अकड़ के खडे थे हम........ 
हुवा नशा तो. कसूर शराब का था. 
खाँम खाँ बदनाम हुये थे हम........ 
सिर्फ़ बीबी को सासू माँ कहा नशे में 
इतनी सी बात पर सूजे पडे थे हम. 
पडोसी भी कम न निकले खातिदारी में 
वो दे रहे थे और खा रहे थे हम
आज भी लोग कहने लगे की नहाये नहीं 
होली का रंग न था यारों नीले पडे थे हम.... 
हम तो चाहते थे कि नशा मुक्त हो समाज. 
तभी तो बोतल पे बोतल निबटा रहे थे हम. 
अच्छाई का परिणाम तो देखिये जनाब.
उसी समाज में पिटे जा रहे थे हम........ 
कुसूर इतना की लोगों को बचा रहे थे हम 
हर पीने वाले को पिला रहे थे हम 
गोदामो से शराब घटा रहे थे हम
अपने पैसे देकर ला रहे थे हम. 
सरकारी खजाना भर रहे थे हम. 
कहीं न कहीं देश चला रहे थे हम. 
इतनी नेकी के बाद भी समाज में 
कूटे जा रहे थे हम......... 
 सन्दीप गढवाली