कोरोना वायरस कोविड-19 लाॅक डाउन
आज देश में एकदम से वो सबकुछ हो गया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। एक ऐसी महामारी जो असंक्रमित आदमी के संक्रमित आदमी के सम्पर्क में आते ही फैल रही है। जो आज पूरे विश्व के लिए एक सरदर्द बन गई है। ऐसे में इस बीमारी से बचने के लिए सिर्फ बचाव ही अर्थात् खुद को घरों में बांधे रखना ही अंतिम उपाय है। और खुद को घरों में इस तरह बांधे रखना ही लाॅक डाउन कहलाता है। परंतु यह लाॅक डाउन कानून की भाषा में क्या है और किस नियम के तहत लागू किया जाता है? यह आपके लिए ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है।
भारत में लाॅक डाउन 24 मार्च 2020 को रात्रि 12.00 बजे से पूरे देश में अगले 21 दिन के लिए लागू किया जा चुका है। 21 दिनों के बाद परिस्थितियों के आधार पर लाॅक डाउन की समय सीमा निर्धारित हो पायेगी। अर्थात् लाॅक डाउन आगे भी रखना है या नहीं यह आने वाले 21 दिनों पर निर्धारित है। आपको लाॅक डाउन को लेकर यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर लाॅक डाउन होता क्या है, किस नियम के तहत लागू किया जाता है और लाॅक डाउन लागू होने के बाद क्या-क्या प्रभाव पड़ता है तथा इसे लागू करने का अधिकार किसके पास है?
तो आइए जानते हैं, लाॅक डाउन को।
कई लोगों को लगता है कि कफ्र्यू और लाॅक डाउन एक ही चीज है। परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। लाॅक डाउन और कफ्र्यू दोनों अलग-अलग हैं और अलग-अलग कानून के तहत ही लागू किए जाते हैं। लाॅक डाउन को समझने से पहले आपको कफ्र्यू को समझना बेहद जरूरी है।
तो आइए जानते हैं कि क्या होता है कफ्र्यू?
दंड प्रक्रिया संहित (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत कफ्र्यू को लगाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट एक नोटिफिकेशन जारी करता है। जहां भी धारा 144 लागू की जाती है वहां चार या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति धारा 144 का उल्लंघन करता है तो उसके विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत केस फाईल किया जाता है। जिसमें उसे चार महीने की कैद या जुर्माना या दोनों ही सजाएं हो सकती हैं।
अब जानते हैं कि क्या होता है लाॅक डाउन?
लाॅक डाउन को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत लागू किया जाता है। यह अधिनियम पूरे भारतवर्ष में लागू होता है। इस अधिनियम का उपयोग किसी भी विकराल समस्या, बीमारी, महामारी के दौरान किया जाता है। जब केन्द्र या राज्य सरकार को यह विश्वास होता है कि देष या राज्य में कोई संकट या बीमारी आ गई है जिससे आम नागरिकों के जीवन को खतरा हो सकता है तो ऐसी दशा में केन्द्र या राज्य सरकार इस अधिनियम को लागू कर सकती है। महामारी रोग अधिनियम 1897 में कुल चार धाराएं हैं जिनमें सम्पूर्ण अधिकार सरकार को दिए गए हैं। इस अधिनियम की धारा 2 राज्य सरकार को कुछ शक्तियां प्रदान करती हैं। इस अधिनियम के तहत केन्द्र व राज्य सरकार बीमारी की रोकथाम के लिए अस्थायी नियम बना सकते हैं। सरकारें ऐसा कोई भी नियम बनाने में सक्षम हैं जो बीमारी को रोकने में कारगार साबित हो सकते हैं। इस अधिनियम की धारा 2 की उपधारा 2 के तहत राज्य की सरकार उन लोगों की जांच कर सकती है जो लोग किसी भी तरह की यात्रा करके आ रहे हैं। इसी अधिनियम की धारा 3 में बताया गया है कि इस अधिनियम के अन्तर्गत जो भी नियम बनाए गए हैं यदि कोई उनका उल्लंघन करता है या उन नियमों को मानने से मना करता है तो ऐसे व्यक्ति के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत केस दर्ज किया जायेगा। जिसमें उसे चार महीने की कैद या जुर्माना या दोनों ही सजाएं हो सकती हैं।
अब आप समझ ही गए होंगे कि इसी अधिनियम के तहत सभी राज्यों में 21 दिनों के लिए लाॅक डाउन की व्यवस्था लागू की गई है।
लाॅक डाउन एक प्रशासनिक आदेश होता है जिसमें आम नागरिकों से घरों में रहने का अनुरोध किया जाता है। इसमें जरूरी सेवाओं के अलावा सारी सेवाएं बंद कर दी जाती हैं। आफिस, दुकानें, फैक्ट्रियां और परिवहन की सुविधा सब बंद कर दी जाती हैं। जहां संभव होता है वहां कर्मचारियों को घर से ही काम करने के लिए कहा जाता है। सार्वजनिक स्थल जैसे की माॅल, सिनेमा हाॅल, होटल, रेस्टोरेंट, शैक्षणिक संस्थान, प्रशिक्षण केन्द्र, कोचिंग संस्थान, जिम सब बंद कर दिए जाते हैं। समस्त धार्मिक स्थल पूर्ण रूप से बंद कर दिए जाते हैं, किसी भी प्रकार का धार्मिक आयोजन की अनुमति नहीं दी जाती है। साथ ही किसी भी तरह के सामाजिक, राजनीतिक, मनोरंजक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी जाती है। अंतिम संस्कार की दशा में अधिकतम 20 लोगों को ही शामिल होने की अनुमति होती है।
लाॅक डाउन में जरूरी सेवाएं जैसे पुलिस, फायर, मेडिकल, पैरा मेडिकल, मीडिया, पेट्रोल, सीएनजी, एलपीजी गैस, रेलवे स्टेशन, बस टर्मिनल, सुरक्षा सेवाएं, पोस्टल सेवाएं, बैंक, एटीएम, पानी, बिजली, नगर निगम, खाद्य वस्तुओं की दुकानें, दूध, फल, सब्जी, मीट और चारे की दुकानें आदि सेवाओं को लाॅक डाउन से छूट दी जाती है। इनसे जुडे लोग और वाहन बाहर आ जा सकते हैं।
भारत में लाॅक डाउन कोविड-19 कोरोना वायरस के कारण किया गया है। जिसकी शुरूआत चायना से हुई थी और आज पूरा विश्व इस बीमारी की चपेट में है। भारतीय दंड संहिता की धारा 269 और 270 के अधीन संक्रमण को फैलाना एक दंडनीय अपराध है। यदि कोई व्यक्ति यह जानते हुए कि उसे ऐसी कोई गंभीर बीमारी है जिससे उसके संपक में आने वाले अन्य व्यक्तियों को भी वह बीमारी हो सकती है तो ऐसे में उस व्यक्ति पर उक्त धाराएं लगाई जाएंगी और उसे 2 साल तक कारावास दिया जा सकता है।
इसलिए लाॅक डाउन का पालन करें। घरों में रहें। खुद भी सुरक्षित रहें और अपने समाज को भी सुरक्षित रखें।
लाॅक डाउन क्या है