मैं गर चल पाता.......
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मै पहाड हूँ तेरा तुम सब का.
गर थोडा सा चल पाता.
यों वीरान न होता
तुम्हारे संग जाता
अपने में एक नया
खूबसूरत शहर बसाता
न तुम छोडते न मै छोडता.
संग बसना उजडना होता.
न तुम अकेले होते
न मै उदास होता.
मेरी खूबसूरती के
कद्रदान होते कई
न तेरे माथे छोड़ने का
यों कलंक होता.
हम तुम साथ होते.
काश मै थोडा चल पाता.....
सन्दीप गढवाली
मैं गर चल पाता