नरेंद्र मोदी की संजीवनी योजना

भारत में सरकारें आई हैं, गई हैं और आती रहेंगी - जाती रहेंगी। बेरोजगारी, मजदूर और दीनहीन लोगों के लिए कब किस सरकार ने क्या क्या काम किए हैं यह किसी से छिपा नहीं है। इनको कम करने में जब 2014 से पहले की सरकारों के कार्यकाल में कोई ठोस नीति, योजना धरातल पर नहीं उतर पाई तो ऐसे में 2014 से लेकर आज तक यानी कि छः सालों में यह कल्पना करना कि यह सब एक झटके में ठीक हो जाएगा सरासर गलतफहमी होगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 130 करोड़ और घुसपैठियों को मिलाकर 150 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में एकदम से बदलाव और विकास का पैमाना तैयार होने में वक्त लगना लाजमी है।
फिर 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार ने काफी हद तक हाशिए पर बैठे व्यक्ति को हर संभव मदद देने की कोशिश की है इसमें कोई शक नहीं है। जिस देश में बिना लिए दिए कोई काम न हो, ऐसी परंपरा रही है एकदम से उस परंपरा को बंदकर सब कुछ आनलाईन कर देने का निर्णय साहस भरा है यह सब जानते हैं।
मोदी सरकार के सारे फैसले दूरगामी परिणाम वाले हैं और बड़े सोच समझ कर लिए गए हैं। भारत में जम्मू-कश्मीर, राममंदिर और तीन तलाक जैसी अतिसंवेदनशील मुद्दों को बिना किसी संघर्ष के समाधान निकालने वाला कदम उनकी हिम्मत और ठोस नीति का परिचय कराने के लिए काफी है। मुझे याद है जब राममंदिर को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्णय आने वाला था तो देश में संघर्ष को देखते हुए सड़कें हों, दफ्तर हों, बाजार हों सब लगभग बंद से हो गए थे। परंतु उस समय ऐसा कुछ हुआ नहीं था वो बात अलग है कि उस फैसले को माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी। खैर, वो तो रात गई बात।
ताजा विषय जो यहां है वो मोदी सरकार की वह योजना है जो आम आदमी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। जी हां आयुष्मान भारत योजना कह लीजिए चाहे स्वास्थ्य योजना कह लीजिए। आज से पहले भी कई स्वास्थ्य योजनाएं बनीं हैं परंतु उनका कितना लाभ आम आदमी को मिला यह सब जानते हैं।
परंतु आयुष्मान योजना उन सबसे अलग और एक सटीक कैशलेस योजना है जो गंभीर बीमारियों में बेहद लाभदायक है।
गरीब आदमी कोई बीमारी हो जाने पर उसके ईलाज के लिए सोच सोच कर ही मर जाता है ऐसे में यह राहत भरी खबर है कि आज हर शहर के लगभग सारे ठीकठाक अस्पताल आस योजना में सूचीबद्ध हैं और मरीजों का ईलाज कर रहे हैं। पांच लाख तक कैशलेस ईलाज की योजना वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी जी की गरीबों के हित में एक दूरगामी सोच का परिणाम है। वर्ना अगर कोई गरीब कर्जा लेकर बीमारी का ईलाज करवाए तो उस कर्ज़ को चुकाने की चिंता उसे फिर से मरीज बना देगी।
आज अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत ईलाज कराने वालों की भीड़ लगी हुई है ऐसे में यह योजना कितनी कारगर है सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव रहा है इस आयुष्मान योजना को लेकर। जिसमें न तो किसी जान पहचान की जरूरत है और न ही किसी के सिफारिश की। आपके मरीज को बेहतर ईलाज मिल सकता है वह भी किसी अच्छे अस्पताल में। वैसे तो दुआ है कि किसी को कोई गंभीर बीमारी न लगे परंतु फिर भी भाग्य और परिस्थितियों के आगे किसी की नहीं चलती है। इसलिए आयुष्मान हमेशा आपके साथ है। 
मुझे गर्व है कि हमारा नेतृत्व ऐसा व्यक्ति कर रहा है जिसकी दूरदृष्टि, कार्ययोजना, कार्यशैली सबसे अलग औह जनहित वाली है।